घर से चिट्ठियाँ नहीं आतीं

Sushil Kumar
8
साभार : गूगल 
घर से चिट्ठियाँ नहीं आतीं
जब – तब एस. एम. एस. आते हैं
जो कंपनी के अनचाहे एस.एम.एसों. में खो जाते हैं
और कुछ दिनों में गायब हो जाते हैं

नहीं बचा पाया ज्यादा दिन उन एस. एम. एसों. को भी
जिनमें पत्नी ने प्यार लिखा था
जिनमें बच्चों की जिद और बोली के अक्स छुपे थे
इष्ट-मित्रों के जन्म-दिन बधाई - संदेश भी बिला गए

गाहे-बगाहे माँ – पिता फोन करते हैं
और शिकायत की मुद्रा में हाल - समाचार पूछते हैं
उन्हें दु;ख है कि
अब कम आता हूँ गाँव
न कभी चिट्ठी – पत्री लिखता हूँ
मोबाईल की आवाज़ उन्हें ठीक से सुनाई नहीं देती
और कान दर्द करने लगते हैं

बड़ी शिद्दत से महसूस कर रहा हूँ इन दिनों –
बच्चे फोन पर अपने शिष्टाचार भूलते जा रहे  
पत्नी बिना हाल-समाचार पूछे ही शुरू हो जाती है

फिर खोलता हूँ घर की चिठ्ठियों के पुलिंदे
बरसों पहले जिन्हें सम्हाल कर रख दिया था दराज में
उन पर पड़ी धूल की मोटी परत झाड़ता हूँ
और सोचता हूँ - 

घर के प्यार और संस्कार कब तक बचा पाऊँगा भला 
दिन – दिन तार – तार हो रहीं चिट्ठी – पत्री की इन लिखावटों में ?
 photo signature_zps7906ce45.png

एक टिप्पणी भेजें

8 टिप्पणियाँ

टिप्पणी-प्रकोष्ठ में आपका स्वागत है! रचनाओं पर आपकी गंभीर और समालोचनात्मक टिप्पणियाँ मुझे बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देती हैं। अत: कृप्या बेबाक़ी से अपनी राय रखें...

  1. समझौता तो करना होगा इस नये जमाने की नई परिपाटी से...विचारणीय!!

    जवाब देंहटाएं
  2. ईमेल पर प्राप्त टिप्पणी -
    मन की गहराइयों में जा कर सुषुप्त भावों को झकझोरने वाली रचना के लिये साधुवाद !!
    शकुन्तला बहादुर
    Sent from my iPad

    जवाब देंहटाएं
  3. बीते दिनों के संवेदनाएं ... चिट्ठियों का प्यार अब कहां .... कुछ नया ढूंढना होगा ...

    जवाब देंहटाएं
  4. भाई सुशील जी, आज का कितना बड़ा सच आपने कविता के माध्यम से कह दिया है। वह पोस्टकार्डों, वह अंतर्देशीय पत्रों और लिफ़ाफ़ों की खुशबू और उन्हें सहेज सहेज कर रखने का मोह… अब तो इस नई तकनीक में बिल्कुल बिला गए… एक सुन्दर कविता के लिए बधाई आपको !

    जवाब देंहटाएं
  5. जीवन की गहराई भागदौड़ में लुप्त हो गई है - जितनी सुविधा,उतना ही अजनबीपन सा

    जवाब देंहटाएं
  6. चिट्ठी पत्री यादों के भंवर उलझ कर रह गयी हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  7. बीते दिनों की याद दिला दी,…
    शानदार

    जवाब देंहटाएं
एक टिप्पणी भेजें

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!